मुझको मन ही मन समझाने लगी है !
ख़ामोशी भी आजकल, गुनगुनाने लगी है !!
मैंने छोड़ दी, दर्द की नुमाइशे करनी !
खुशिया अब अपने घर भी आने लगी है !!
पी के ''तनहा''
ख़ामोशी भी आजकल, गुनगुनाने लगी है !!
मैंने छोड़ दी, दर्द की नुमाइशे करनी !
खुशिया अब अपने घर भी आने लगी है !!
पी के ''तनहा''
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पी के ''तनहा''