ख़ुद अपने लिए बैठ कर सोचेंगे किसी दिन,
यूँ है के तुझे भूल के देखेंगे किसी दिन,
बैठ के ही फिरते हैं कई लफ्ज़ जो दिल मैं,
दुनिया ने दिया वक्त तो लिखेंगे किसी दिन,
जाती है किसी झील की गहराई कहाँ तक,
आँखों में तेरी डूब कर देखेंगे किसी दिन,
खुसबू से भरी शाम मैं जुगनू के कलम से,
इक नज़्म तेरे वास्ते लिखेंगे किसी दिन,
सोयेगे तेरी आँख की खुलावत मैं किसी रात,
साए में तेरी जुल्फ के प्रियराज जागेंगे किसी दिन .......
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पी के ''तनहा''