Pages

Tuesday, 1 February 2011

आंसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर

गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह
आ जाओ जिंदगी में नए साल की तरह

कब तक तने रहोगे यूँ ही पेड़ की तरह
झुक कर गले मिलो कभी तो डाल की तरह

आंसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर
लग जाओ मेरी आँख से रूमाल की तरह

ग़म ने निभाया जैसे आप भी निभाइए
मत साथ छोड़ जाओ अच्छे हाल की तरह

बैठो भी अब ज़हन में सीधी बात की तरह
उठते हो बार बार क्यों सवाल की तरह

अचरज करूँ "किरण" मैं जिसको देख उम्र-भर
हो जाओ जिंदगी में उस कमाल की तरह

No comments:

Post a Comment

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''