Pages

Tuesday 1 February 2011

फूलों से यूँ ही, खिला कीजिए।

यूँ ही रोज हमसे, मिला कीजिए
फूलों से यूँ ही, खिला कीजिए।

करते हैं तुमसे, मोहब्बत सनम
इसका कभी तो, सिला दीजिए।

कब से हैं प्यासे, तुम्हारे लिए
नज़रों से अब तो, पिला दीजिए।

पत्थर हुए हम, तेरी याद में
छूकर हमें अब, जिला दीजिए।

हो जाये कोई खता जो अगर
हमसे न कोई, गिला कीजिए।

No comments:

Post a Comment

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''