तेरे साथ दो पल जिंदगी
बिताने का अरमान था ,,
मैंने तुझको समझा था अपना
देखा था तेरे साथ एक सपना
वो सपना मेरा टूट गया
साथ भी तेरा छुट गया
जिंदगी भर मैं तुझ पर करता रहा ऐतबार
लुटाता रहा तुझ पर बस प्यार ही प्यार
बदनाम हुआ मैं इस तेरे शहर में
एक तुने मुझे ना समझा यार
एक बार जो तुने समझा होता
जो हुआ आज , वो ना होता
कोई लाश पे मेरी ना रोता
और इतनी कम उम्र में ये हादसा
मेरे साथ ना हुआ होता
अब हुआ जो, मेरे यार हुआ
नीलाम जो मेरा प्यार हुआ
कसम है तुझको , मत रोना
इन आँखों को अश्को से ना धोना
अब बताना चाहूँगा ,जो हुआ मेरा सम्मान था
तेरे शहर में जो हुआ मेरा अपमान था ,
दो पल साथ गर तेरा मिल जाता
यही मेरे जीने का फरमान था
तेरे साथ दो पल जिंदगी
बिताने का अरमान था
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पी के ''तनहा''