हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ
जिंदगी में मेरी, आज कुछ ऐसा हुआ ....
की इस कद्र चल रहा था , मंजिल ए डगर पर
फिरता है , जैसे कोई प्यार का मारा हुआ ..
जीत कर भी मुझे लग रहा था ऐसा
जीत कर भी जैसे कोई इन्सां हो हारा हुआ
मगर .......
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
प्यार की मंजिल को , आखिर पा ही लिया मैंने
अंजाम को देखा तो सोचा , ये क्या किया मैंने
वर्षो की तम्मना , पूरी हुई थी मेरी ......
सपना पूरा हुआ ,जैसे कोई रुका हुआ ...
हारा नहीं था मैं , था आज कुछ थका हुआ...
दिल के सुंदर एहसास
ReplyDeleteहमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
sundar bhav or sundar rachana
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