मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
एक तेरे दीदार की खातिर
क्या क्या नहीं किया मैंने
उस सुंदर सी मुस्कान पर तेरी
आदत हो गयी मुझे भी शर्माने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
नींद नहीं आती थी मुझको
देख न लू जब तक तुझको
कट गयी जिंदगी इंतज़ार में तेरे
पर अभी आशा है तेरे आने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
तुम प्यार करो या ना भी करो
मुझको इसका गिला नही
बस एक बार आकर ,पूरी करदो
तम्मना इस दीवाने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
बिन तेरे बेरंग है महफ़िल
आकर करदो इसको झिलमिल
शंमा बनकर जला जाओ
इस परवाने को आदत है जल जाने की
मेरे मन की हसरत थी
तेरी आँखों में बस जाने की
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पी के ''तनहा''