पढना चाहते हो मुझे गर
तो पढना कभी मेरी उदासी को
समझना चाहते हो मुझे गर
तो समझना मेरे जज्बातों को
मिलना चाहते हो मुझसे गर
तो मिलना मेरी तन्हाइयो से
बाटना चाहते हो गर दर्द मेरा
तो बाटना मेरी रुसवाइयो को
तुम मुझे समझ जाओगे उसी दिन
दिन भी नहीं कटेगा तुम्हारा मेरे बिन
ये सच है हूँ मैं कुछ भी नहीं
लेकिन तुम्हे पाकर खुश हूँ मैं
क्योंकि तुम फिर मिलोगे एक दिन यही
रहेगा मुझे उस दिन का इंतजार
होगा जिस दिन मेरे प्यार का इज़हार
जो भाग रहा है पैसे की अंधी दोड़ में
वो भी बस यही कहेगा ,प्यार ,....प्यार..प्यार .....
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पी के ''तनहा''