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Friday, 2 September 2011

क्यों भर आई आज ये आँखें .........

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे 
  
प्यार किया था जिससे हमने
था बड़ा मासूम वो चेहरा
खबर लगी दुनिया को इसकी
लगा दिया हम पर पहरा
हमारी खातिर जिसने भैया
कुरबां कर दी अपनी सांसे

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे  

अब एक दुआ है मेरी रब से
देना प्यार उसी का मुझको
पल पल जिसको याद हूँ करता
पल पल करता जिसकी बाते

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे  

हम दोनों का क्या था कसूर
किया हमको क्यों मजबूर
उम्र ही क्या थी उसकी अभी
जिसकी रह गयी सिर्फ यादे

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे 
  
अब हम भी चाहते है जाना
हमराही का प्यार है पाना
मेरी एक कविता पर
दी थी जिसने इतनी दादे

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे   

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पी के ''तनहा''