ये यादो की कहानी , सब कुछ कह निकली !
आसूं की धारा देखो , स्वत : ही बह निकली !!
बड़ी मुश्किल से सजाये थे , ख्वाब तेरे !
बैचैन थे कुछ सवाल , पाने को जवाब तेरे !!
और वर्षो से , इन होठों ने चुप्पी नही तोड़ी !
आज देखा तो , उन यादो की कितनी तह निकली !!
ये यादो की कहानी , सब कुछ कह निकली !
आसूं की धारा देखो , स्वत : ही बह निकली !!
जब से गये हो तुम , तनहा मुझे छोडकर !
बेरहम की तरह , शीशे सा मुझको तोडकर !!
सिखाया मैंने दिल को , तुझसे दूर रहना !
ये धडकन भी जैसे ,सारे दर्द सह निकली !!
ये यादो की कहानी , सब कुछ कह निकली !
आसूं की धारा देखो , स्वत : ही बह निकली !!
बड़े दिनों बाद , वो तसरीफ इधर लाये है !
भक्त के द्वार , जैसे खुद भगवान आये है !!
अपने किये पर जैसे , खुद ही शर्मिंदा है वो !
लेकिन ,देखकर आज उनको दिल से एक आह निकली !!
ये यादो की कहानी , सब कुछ कह निकली !
आसूं की धारा देखो , स्वत : ही बह निकली !!
बहूत हि सुंदर भाव विभोर करती रचना है ...
ReplyDeleteभावुक करती हुई प्रभावी रचना ...
ReplyDeleteबड़ी मुश्किल से सजाये थे , ख्वाब तेरे !
ReplyDeleteबैचैन थे कुछ सवाल , पाने को जवाब तेरे !!
बेचैनी में भूल हो गई ,प्यार में सवालों-जबाबो के लिए जगह नहीं होती....!