मेरे दर्द , तुझे अपना कहूँ या पराया !
क्यों तुने ,हर पल मेरा साथ निभाया !!
सब अपने मुझसे छुट चुके थे !
वो सपने भी सब टूट चुके थे !!
जब जब खुशियों ने की बेवफाई !
याद मुझे उस पल तेरी आयी !!
तुझसे कैसा ये रिश्ता मेरा है !
तुझे शत्रु कहूँ या , कहूँ भाई !!
मैं जब जब , निकला सपने बुनकर !
कुछ ख्वाब , अधूरे से वो चुनकर !!
तब किस्मत ने मेरी मुझे छकाया !
और ज़माने ने भी खूब सताया !!
और एक तुने , मुझे ना कभी आजमाया !
मेरे दर्द , तुझे अपना कहूँ या पराया !
क्यों तुने ,हर पल मेरा साथ निभाया !!
तुझे शत्रु कहूँ या , कहूँ भाई !!
ReplyDeleteमेरे दर्द , तुझे अपना कहूँ या पराया !
क्यों तुने ,हर पल मेरा साथ निभाया !!
इस अकेलेपन में एक दर्द ही तो अपना होता.... !!
कभी खुशी भी आपका साथ यों ही निभाएगी.....
ReplyDeletebahut hi sundar
ReplyDeletebhav vibhor karati rachana:-)