कुछ इस तरह इज़हार करूँगा तुमसे !!
उन सुनसान रास्तो से भी यारी कर ली थी !
जितना हो सकता था , हदे पार सारी कर ली थी !!
तुम शायद रूठ ना , जाओ मुझसे अभी !
इज़हार मैंने , इसलिए नही किया कभी !!
तुम आओगे सोचकर , तेरी राह तकते !
उस तपती दोपहरी में , खड़े होकर भी ना थकते !!
माना इस रिश्ते से , दोनों ही अनजान थे !
मगर आप इस भक्त के प्यारे से भगवान थे !!
उन रास्तो पे आज भी , इंतज़ार करता पाओगे !
राह देख रहा हूँ आज भी, की तुम आओगे ,,,, हाँ ......तुम आओगे
इंतजार करते रहिये ....व्यर्थ नहीं जाएगा
ReplyDeleteउन रास्तो पे आज भी , इंतज़ार करता पाओगे !
ReplyDeleteराह देख रहा हूँ आज भी, की तुम आओगे ,,,, हाँ ......तुम आओगे
बहुत सुन्दर गजब के भाव ,,
बेहतरीन रचना...