साहिल पर खड़ा ,देख रहा था मौजो के नज़ारे !
सोचने लगा तुमको , की कभी आप भी थे हमारे !!
साहिल से मिलने मौजे आती रही !
छुअन से मुझे अपनी,मीठा एहसास कराती रही !!
आ पहुंचा फिर यादों का काफिला भी !
पलके अनायास ही , उदासी भरे गीत गाने लगी !!
बहुत समझाया इस बाँवरे मन को मैंने !
ये पागल हँसता रहा , और आँख भर आती रही !!
उदासियाँ साज अपना सजाने लगी !
मेरी परछाई मुझसे कतराने लगी !!
मैं तुमको सोचता खड़ा रह गया जैसे !
जुदा होकर तुझसे ,जियूँगा कैसे !!
टूट गया हूँ आज , तेरी बेवाफ़ी से यारा !
साहिल पर खड़ा देखता रहा , मौजो का नजारा !!
उदासियाँ साज अपना सजाने लगी !
ReplyDeleteमेरी परछाई मुझसे कतराने लगी !!
मैं तुमको सोचता खड़ा रह गया जैसे !
जुदा होकर तुझसे ,जियूँगा कैसे !!
किसी के नहीं रहने से जिन्दगी समाप्त नहीं होती.... !
उदासी से बाहर निकल कर देखिये और भी बहाने मिलेगें.... !!