Pages

Saturday, 11 February 2012

आ पहुंचा फिर यादों का काफिला भी......

 साहिल पर खड़ा ,देख रहा था मौजो के नज़ारे !
सोचने लगा तुमको , की कभी आप भी थे हमारे !!
 
साहिल से मिलने मौजे आती रही !
छुअन से मुझे अपनी,मीठा एहसास कराती रही !!
 
आ पहुंचा फिर यादों का काफिला भी !
पलके अनायास ही , उदासी भरे गीत गाने लगी !!
 
बहुत समझाया इस बाँवरे मन को मैंने !
ये पागल हँसता रहा , और आँख भर आती रही !!
 
उदासियाँ साज अपना सजाने लगी !
मेरी परछाई मुझसे कतराने लगी !!
 
मैं तुमको सोचता खड़ा रह गया जैसे !
जुदा होकर तुझसे ,जियूँगा कैसे !!
 
टूट गया हूँ आज , तेरी बेवाफ़ी से यारा !
साहिल पर खड़ा देखता रहा , मौजो का नजारा !!

1 comment:

  1. उदासियाँ साज अपना सजाने लगी !
    मेरी परछाई मुझसे कतराने लगी !!
    मैं तुमको सोचता खड़ा रह गया जैसे !
    जुदा होकर तुझसे ,जियूँगा कैसे !!

    किसी के नहीं रहने से जिन्दगी समाप्त नहीं होती.... !
    उदासी से बाहर निकल कर देखिये और भी बहाने मिलेगें.... !!

    ReplyDelete

आपके सुझाव और प्रतिक्रियाएं सादर आमंत्रित है ! आपकी आलोचना की हमे आवश्यकता है,
आपका अपना
पी के ''तनहा''