अश्क आज बनकर आये है मेहमान
सजा है यहाँ देखो , उदासीयो का सामान
इस चेहरे पर है , ये जो इतनी उदासी
दीदार की है बस , ये तेरे ही प्यासी
मेरा साया ही , मेरा नहीं रहा अब तो
घर में अपने ही ,अब बन बैठे है अनजान
अश्क आज बनकर आये है मेहमान
सजा है यहाँ देखो , उदासीयो का सामान
मुस्कान से तो जैसे ,अब वास्ता ही नही रहा
मंजिल मिलनी तो दूर ,अब रास्ता भी नही रहा
लोग कहते है , की तुम लौट आओगे एक दिन
मगर अब बातो से किसी की , नही होता इत्मिनान
अश्क आज बनकर आये है मेहमान
सजा है यहाँ देखो , उदासीयो का सामान
जिंदगी में तुम क्यों आये मेरी
यादो को कैसे, भूलाऊ मैं तेरी
दो पल जीने की ,हसरत थी साथ तेरे
खाक मगर हुए, वो सारे अरमान
अश्क आज बनकर आये है मेहमान
सजा है यहाँ देखो , उदासीयो का सामान
सुन्दर रचना ! बहुत खूब !
ReplyDeletebahut hi sarthak rachna...
ReplyDeleteमुस्कान से तो जैसे ,अब वास्ता ही नही रहा ,
ReplyDeleteमंजिल मिलनी तो दूर ,अब रास्ता भी नही रहा ,
लोग कहते है , की तुम लौट आओगे एक दिन ,
मगर अब बातो से किसी की , नही होता इत्मिनान ,
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उम्मीद टूट रही हो, हिम्मत छुट रही हो जैसे... !
कहते है ,जब तक सांस तब तक आस.... !!
वाह ..
ReplyDeleteबहुत खूब ....
बहुत ही सुन्दर पर गहरी भावाभिव्यक्ति ...
प्यार में प्यार है तो दर्द भी ..
उस दर्द को बहुत खूबसूरती से उकेरा है ...
लाजवाब....
AAP SABHI KA DHANYAWAD
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